Kernel क्या है? इसका क्या उपयोग है?
(Kernel Meaning in Hindi, karnal kya hota hai, explain Kernel)
अगर आपको Kernel के बारे में कुछ
भी मालूम नहीं है और इसके बारे में जानना चाहते है तो तो इस पोस्ट के माध्यम से Kernel के बारे में
पूरी जानकरी दी जाएगी.
इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि "Kernel
क्या
होता है? इसका क्या उपयोग होता है? कर्नेल क्या काम करता है? अगर
किसी Device में Kernel ना हो तो क्या
होगा? क्या वह डिवाइस ठीक से काम कर पाएगा? कर्नेल के
प्रकार इत्यादी."
कंप्यूटर, मोबाइल के अलाबा कोई भी कंप्यूटिंग
डिवाइस, दो कॉम्पोनेन्ट जैसे Software and hardware के कॉम्बिनेशन की सहायता से चल पाता है.
यहाँ पर हार्डवेयर के रूप में कंप्यूटर,
मोबाइल या कोई अन्य device और उसके सभी component हो
सकते है जबकि सॉफ्टवेर के रूप में कोई भी ऑपरेटिंग सिस्टम हो सकता है. इसी से जुड़े
Kernel का use होता है जिसके बारे आप आगे जान पाएंगे.
तो इसके बारे में अब आप बिस्तार से जान पाएंगे.
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Kernel क्या है?
(What is Kernel in Hindi, Kernel in os)
Kernel एक Software होता है, जो
किसी Device के Software और Hardware
के
बीच Communication का काम करता है. यह सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के
बीच दोनों को आपस में जोड़े रखता है. जिस कारन Device सही ढंग से काम
कर पाता है.
कोई भी Operating System software को हार्डवेयर डिवाइस से interact करने
के लिए एक प्रोग्राम की जरूरत होती है. जिसको Kernel कहा जाता है.
Kernel, OS का एक ऐसा कोर कॉम्पोनेन्ट होता है जिसका
सिस्टम पर पूरा control होता है. इसे OS की फाउंडेशन
लेयर भी कहते है .
Kernel का उपयोग?
(use of Kernel)
Kernel का इस्तेमाल अनेको devices में होता है जैसे Phone,Tablet,
Laptop, Computer इत्यादी. Operating System सॉफ्टवेर रन करने वाले सभी devices में Kernel होता है.
जैसे Android, iOS, Windows, Linux
इत्यादी.
कर्नेल क्या काम करता है?
(Kernel work, Kernel features)
सॉफ्टवेयर को उसकी जरूरत के मुताबिक Resources
उपलब्ध
कराने का काम Kernel
करता है. जैसे किसी सॉफ्टवेयर को Storage का Access चाहिए. तो कर्नल
ही उसे Access देता है.
Keyboard, Mouse, Monitor, Printer आदि जैसे किसी
भी devices को सॉफ्टवेयर से request भेजने पर या
हार्डवेयर से Request आने पर Kernel द्वारा ही मैनेज
किया जाता है.
Kernel
किसी भी Operating System का Central Part होता है. एक Device
को
सही ढंग से चलाने में Kernel द्वारा ही संभव हो पाता है.
कुछ resources या processes
को भी
आपस में communicate करके Kernel के द्वारा रन हो
पाता है.
Kernel, किसी भी Operating System का core component होता
है. ऐसे में अगर कर्नल के नहीं होने के स्थिति में Apps के उपर
किसी का
कंट्रोल नहीं रहेगा.
उसके बाद सभी Apps एक साथ एक्टिव
होने लगेगा और ऐसे में Out of
control हो जाऐंगी. और फिर इसे संभालना ऑपरेटिंग सिस्टम से नहीं हो पायेगा. ऐसे
में Software का उड़ना या ऑपरेटिंग सिस्टम क्रैश हो जाना
निश्चित है. इसीलिए Kernel का होना बहुत जरूरी है.
किस App या Software को कितनी रैम
चाहिए? और कितना
स्टोरेज चाहिए? यह कर्नल ही देखता है. जो अलग-अलग Devices को
उसके कामो के अनुसार Device management का काम करता है.
कंप्यूटर, मोबाइल या किसी device में OS को पूरी तरह से load
होने
के बाद भी Kernel
बैकग्राउंड मे रन करता रहता है. और सिस्टम के resources को मैनेज करता
है.
Kernel,
system स्टार्ट होने से लेकर बंद होने तक रेगुअल्र बैकग्राउंड में रन करते रहता
है. इसके
अलावा भी Kernel अलग-अलग
methods provide कराता है जिन्हें अलग-अलग कामो में इस्तेमाल
किया जाता है.
कर्नेल के प्रकार
(Types of Kernel in Hindi, explain Kernel in hindi)
Monolithic Kernel
Monolithic Kernel को पोपुलर माना जाता है. यह कंप्यूटर
हार्डवेयर पर बहुत ही high level virtual interface provide करता है.
इसके कारन डायनामिक सॉफ्टवेयर भी बहुत ही आसानी
से run कर पाते हैं इसमें Device
drivers को अलग से भी ऐड किया जा सकता है. Monolithic Kernel का इस्तेमाल होने
वाले os निम्न है.
जैसे- Linux, Unix, Windows 95, 98, ME,
DOS आदि.
Micro Kernel
यह बेसिक फंक्शन्स हैंडल करता है. इसका साइज
छोटा एवं execution भी स्लो होता है. इसमें User सर्विसेज
और कर्नेल सर्विसेज को अलग-अलग एड्रेस स्पेस मे रखा जाता है.
जैसे -Windows
NT, Mac OS
Hybrid Kernel
यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला Kernel
है.
जिसे बड़े-बड़े commercial operating systems में इस्तेमाल
किया जाता है. यह Monolithic Kernel और MicroKernel का mixed
version होता है.
जैसे- Mac
OS, Windows XP, Windows 7, Windows 8,
Windows 10 आदि.
Nano Kernel
Nano Kernel में hardware
abstraction ही offer करते हैं, इसमें कोई services
नहीं
होती है और Kernel space भी minimum होती है.
Nano Kernel, hypervisor का आधार होता है जहाँ multiple
systems को emulate कर सकते हैं.
Exo-Kernel
Exo-Kernel बाकी Kernel से बहुत अलग और
छोटा होते हैं. इसका use बहुत कम होता है.
तो यह था Kernel के बारे में उससे
जुडी पूरी जानकारी, जिसको हमने बताया.
इस आर्टिकल में हमने बताया कि "Kernel क्या होता है?
इसका
क्या उपयोग होता है? कर्नेल क्या काम करता है? अगर
किसी Device में Kernel ना हो तो क्या
होगा? क्या वह डिवाइस ठीक से काम कर पाएगा? कर्नेल के
प्रकार इत्यादी."
हमें उम्मीद है हमारे द्वारा दिया गया Kernel के बारे में इस
जानकारी से आपको कुछ सिखने को जरुर मिला होगा. अगर आपको यह जानकारी अच्छा लगा हो
तो कृपया इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर जरुर शेयर करे.